केदारनाथ का इतिहास और संपूर्ण यात्रा की जानकारी (Kedarnath History and complete information for yaatra)

केदारनाथ का इतिहास और संपूर्ण यात्रा की जानकारी (Kedarnath History and complete information for yaatra)

उत्तराखंड को देवभूमि यानि देवताओं की भूमि कहा जाता है। यहां हजारों साल पुराने कई मंदिर हैं। उनमें से सबसे प्रसिद्ध बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चार स्थानों में स्थित मंदिर हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से चार धाम कहा जाता है। पूरे भारत और विदेश से तीर्थयात्री चार धाम यात्रा के रूप में तीर्थस्थलों की यात्रा करते हैं। चार धाम यात्रा हिंदू धर्म में बहुत महत्व और पवित्रता रखती है। ऐसा कहा जाता है कि प्रत्येक हिंदू को जीवन में कम से कम एक बार चार धाम यात्रा करनी चाहिए और तीर्थस्थलों पर विराजमान देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

केदारनाथ मंदिर

 

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ का इतिहास (History of Kedarnath)

उत्तराखंड के चमोली जिले में ही भगवान शिव को समर्पित 200 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है केदारनाथ। पौराणिक कथा के अनुसार, कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों पर जीत हासिल करने के बाद, पांडवों को अपने ही रिश्तेदारों को मारने का दोषी महसूस हुआ और उन्होंने मुक्ति के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा।

वह बार-बार उनसे बच निकला और भागते समय उसने एक साथी के रूप में केदारनाथ में शरण ली। पीछा किए जाने पर, भगवान ने जमीन में गोता लगाया और अपना कूबड़ केदारनाथ की सतह पर छोड़ दिया। भगवान शिव के शेष भाग चार अन्य स्थानों पर प्रकट हुए और वहां उनके स्वरूपों के रूप में पूजा की जाती है। भगवान की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, पेट मध्यमहेश्वर में, और मध्यमहेश्वर सिर के साथ उनकी जटाएं कल्पेश्वर में प्रकट हुईं। केदारनाथ और उपर्युक्त चार मंदिरों को पंच केदार (संस्कृत में पंच का अर्थ पांच) माना जाता है। ये सभी मंदिर केदारखंड के अन्तर्गत आते है ।

केदारनाथ का मंदिर एक भव्य दृश्य प्रस्तुत करता है, जो ऊंचे बर्फ से ढकी चोटियों से घिरे एक विस्तृत पठार के बीच में खड़ा है। यह मंदिर मूल रूप से 8वीं शताब्दी में जगद् गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा बनाया गया था और यह पांडवों द्वारा बनाए गए पहले के मंदिर के स्थान के निकट स्थित है। सभा कक्ष की भीतरी दीवारों को विभिन्न देवताओं की आकृतियों और पौराणिक कथाओं के दृश्यों से सजाया गया है। मंदिर के दरवाजे के बाहर नंदी की एक बड़ी मूर्ति रक्षक के रूप में खड़ी है।

भगवान शिव को समर्पित, केदारनाथ मंदिर की उत्कृष्ट वास्तुकला है, जो बेहद बड़े, भारी और समान रूप से कटे हुए भूरे पत्थरों के स्लैब से बना है, यह आश्चर्य पैदा करता है कि पिछली शताब्दियों में इन भारी स्लैबों को कैसे स्थानांतरित और संभाला जाता था। मंदिर में पूजा के लिए एक गर्भ गृह और एक मंडप है, जो तीर्थयात्रियों और आगंतुकों की सभा के लिए उपयुक्त है। मंदिर के अंदर एक शंक्वाकार चट्टान की संरचना है जिसकी पूजा भगवान शिव को उनके सदाशिव रूप में की जाती है।

केदारनाथ के मंदिर

केदारखंड उत्तराखंड राज्य का एक क्षेत्र है जो हिमालय की गोद में स्थित है। यह क्षेत्र अपने प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। केदारखंड में कई महत्वपूर्ण मंदिर हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

    • केदारनाथ मंदिर– जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

    • तुंगनाथ मंदिर– जिसमे भगवान शिव की भुजाओ की पूजा की जाती। यह मंदिर चमोली जिले में स्थित है और हिमालय की चोटियों के बीच स्थित है।

    • रुद्रनाथ मंदिर– जिसमे भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती। यह मंदिर चमोली जिले में स्थित है और एक दुर्गम स्थान पर स्थित है।

    • मध्यमहेश्वर मंदिर– जिसमे भगवान शिव के सिर की पूजा की जाती । यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और एक सुंदर झील के किनारे स्थित है।

    • कल्पेश्वर मंदिर– जिसमे भगवान शिव की सिर के साथ उनकी जटाएं कल्पेश्वर में प्रकट हुईं। यह मंदिर चमोली जिले में स्थित है और एक गुफा में स्थित है।

इन पांच मंदिरों को मिलाकर पंच केदार कहा जाता है। पंच केदार की यात्रा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है।

केदारनाथ के अन्य महत्वपूर्ण मंदिर

केदारखंड में अन्य महत्वपूर्ण मंदिरों में शामिल हैं:

    • गौरीकुंड, जो केदारनाथ मंदिर के लिए एक महत्वपूर्ण पवित्र स्थान है। यह स्थान गौरी और शिव के मिलन का स्थल है।

    • बद्रीनाथ मंदिर, जो चार धाम यात्रा में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। हमारे साझेदारों को धन्यवाद, आप बजट से लेकर टॉप-ऑफ़-द-रेंज तक, हर पसंद और बजट के अनुरूप  ऑनलाइन पा सकते हैं। सुपर स्टाइलिश मॉडल.

    • गंगोत्री मंदिर, जो चार धाम यात्रा में से एक है। यह मंदिर देवी गंगा को समर्पित है और हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

    • यमुनोत्री मंदिर, जो चार धाम यात्रा में से एक है। यह मंदिर देवी यमुना को समर्पित है और हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

केदारनाथ की यात्रा

केदारनाथ यात्रा भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक हिंदू तीर्थयात्रा है। यह चार धाम यात्रा का एक हिस्सा है, जो हिंदू धर्म के चार सबसे पवित्र तीर्थस्थलों की यात्रा है। केदारनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में देवों के देवता माना जाता है।

केदारनाथ यात्रा की शुरुआत हरिद्वार से होती है, जो उत्तराखंड की एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। हरिद्वार से, तीर्थयात्री गौरीकुंड तक पहुंचते हैं, जो केदारनाथ के लिए एक आधार शिविर है। गौरीकुंड से, तीर्थयात्री केदारनाथ की 12 किलोमीटर की चढ़ाई शुरू करते हैं। चढ़ाई मुश्किल हो सकती है, खासकर मानसून के मौसम में।

केदारनाथ धाम एक पहाड़ी घाटी में स्थित है, जो हिमालय की चोटियों से घिरा हुआ है। मंदिर एक विशाल शिवलिंग को समर्पित है, जो भगवान शिव का प्रतीक है। मंदिर के पास एक प्राकृतिक गर्म पानी का झरना है, जो तीर्थयात्रियों के लिए एक लोकप्रिय स्नान स्थल है।

केदारनाथ यात्रा एक आध्यात्मिक और शारीरिक चुनौती है। यह उन तीर्थयात्रियों के लिए एक पुरस्कृत अनुभव है जो भगवान शिव के आशीर्वाद की तलाश में हैं।

केदारनाथ का इतिहास और संपूर्ण यात्रा की जानकारी (Kedarnath History and complete information for yaatra)

 

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ यात्रा के लिए आवश्यक जानकारी

    • यात्रा का समय: केदारनाथ यात्रा आमतौर पर अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच की जाती है। मानसून के मौसम में, केदारनाथ तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है।

    • यात्रा का मार्ग: केदारनाथ यात्रा के लिए कई मार्ग हैं। सबसे लोकप्रिय मार्ग हरिद्वार से गौरीकुंड तक बस या कार से यात्रा करना है, और फिर गौरीकुंड से केदारनाथ तक पैदल यात्रा करना है।

    • यात्रा के लिए आवश्यक दस्तावेज: केदारनाथ यात्रा के लिए, तीर्थयात्रियों को एक फोटो पहचान पत्र, एक यात्रा पास और एक स्वास्थ्य प्रमाण पत्र दिखाना होगा।

    • यात्रा के लिए आवश्यक सामान: केदारनाथ यात्रा के लिए, तीर्थयात्रियों को आरामदायक जूते, गर्म कपड़े, पर्याप्त भोजन और पानी, और प्राथमिक चिकित्सा किट ले जाना चाहिए।

केदारनाथ यात्रा के लिए कुछ सुझाव

    • यात्रा से पहले अच्छी तरह से योजना बनाएं। यात्रा के लिए आवश्यक दस्तावेज और सामान को पहले से तैयार कर लें।

    • आरामदायक जूते पहनें। केदारनाथ की चढ़ाई मुश्किल हो सकती है, इसलिए आरामदायक जूते पहनना महत्वपूर्ण है।

    • पर्याप्त पानी और भोजन ले जाएं। केदारनाथ तक पहुंचने में कई घंटे लग सकते हैं, इसलिए पर्याप्त पानी और भोजन ले जाना महत्वपूर्ण है।

    • ऊंचाई की बीमारी से बचने के लिए सावधानी बरतें। केदारनाथ की ऊंचाई लगभग 11,000 फीट है। ऊंचाई की बीमारी से बचने के लिए, पर्याप्त पानी पिएं और धीरे-धीरे चढ़ें।

    • स्थानीय परंपराओं का सम्मान करें। केदारनाथ एक पवित्र स्थान है, इसलिए स्थानीय परंपराओं का सम्मान करना महत्वपूर्ण है।

केदारनाथ यात्रा के लिए कुछ धार्मिक अनुष्ठान

    • हरिद्वार में गंगा नदी में स्नान करें। यह केदारनाथ यात्रा की शुरुआत का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।

    • गौरीकुंड में प्राकृतिक गर्म पानी के झरने में स्नान करें। यह एक पवित्र स्नान है जो तीर्थयात्रियों को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने में मदद करता है।

    • केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करें। यह केदारनाथ यात्रा का अंतिम लक्ष्य है।

केदारनाथ यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव है जो आपको भगवान शिव के आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यदि आप आध्यात्मिक रूप से विकसित होने और एक बेहतर इंसान बनने की तलाश में हैं, तो केदारनाथ यात्रा एक बढ़िया विकल्प है।

केदारनाथ मंदिर में पूजा का समय (puja timings in kedarnath temple)

केदारनाथ मंदिर में पूजा का समय निम्नलिखित है:
सुबह: 4:00 AM से 7:00 AM
दोपहर: 12:00 PM से 1:00 PM
शाम: 6:00 PM से 7:30 PM
मंदिर के कपाट सुबह 4:00 AM पर खुलते हैं और 7:00 PM पर बंद होते हैं। सुबह की पूजा में शिवलिंग को स्नान कराया जाता है और घी से अभिषेक किया जाता है। फिर दीयों और मंत्र जाप के साथ आरती की जाती है। तीर्थयात्री आरती में शामिल होने और दर्शन करने के लिए सुबह गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं।
दोपहर की पूजा अपेक्षाकृत छोटी होती है और इसमें केवल शिवलिंग को दूध और पंचामृत अर्पित किया जाता है।
शाम की पूजा सुबह की पूजा के समान होती है, जिसमें शिवलिंग को स्नान कराया जाता है और घी से अभिषेक किया जाता है। फिर दीयों और मंत्र जाप के साथ आरती की जाती है।

केदारनाथ मंदिर में पूजा का समय (puja timings in kedarnath temple)

श्रद्धालु चार धाम यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से रजिस्ट्रेशन करवा सकते है।
-ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए चारधाम यात्रा मार्ग पर कई पंजीकरण काउंटर हैं, वहां से भी आप रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
जो लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते हैं वे केदारनाथ की आधिकारिक वेबसाइट – https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर जा सकते हैं।
जिस्ट्रेशन करवाने के लिए सबसे पहले चारधाम यात्रा की वेबसाइट www.registrationandtouristcare.uk.gov.in पर जाएं. -अब रजिस्टर/लॉगिन पर क्लिक करें और फॉर्म भरें।
-चारधाम ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद वेरिफिकेशन के लिए आपके पास सिस्टम या मोबाइल या फिर ईमेल पर ओटीपी आएगा. -अपने मोबाइल नंबर और पासवर्ड का उपयोग करके लॉगिन करें।

केदारनाथ पंजीकरण के तरीके (Kedarnath Registration Methods)

https://registrationandtouristcare.uk.gov.in इस वेब पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन
2. मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से – टूरिस्ट केयर उत्तराखंड (एंड्रॉइड ऐप और आईओएस ऐप डाउनलोड करें)
3. व्हाट्सएप सुविधा के माध्यम से – मोबाइल नंबर: +91 8394833833 व्हाट्सएप में पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने के लिए टाइप करें: “यात्रा”।
सत्यापन का तरीका:
केवल मोबाइल ऐप में “क्यूआर कोड” की स्कैनिंग या डाउनलोड किए गए “यात्रा पंजीकरण पत्र” के माध्यम से ही मंदिर में शारीरिक रूप से दर्शन किए जा सकते हैं।
ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए चारधाम यात्रा मार्ग पर कई पंजीकरण काउंटर हैं, वहां से भी आप रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
 

केदारनाथ कब जाना चाहिए? (When should one visit Kedarnath?)

केदारनाथ मंदिर हर साल अप्रैल से नवंबर तक खुला रहता है। अप्रैल और मई के महीने केदारनाथ यात्रा के लिए सबसे अच्छे महीने हैं। इस दौरान मौसम सुहावना होता है और पर्यटक हिमालय की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। जून से अक्टूबर के महीने भी केदारनाथ यात्रा के लिए अच्छे होते हैं, लेकिन इस दौरान बारिश का मौसम हो सकता है।

केदारनाथ में मौसम कैसा रहता है?

केदारनाथ में गर्मियों के महीने (अप्रैल से जून) मधुर होते हैं, औसत तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। मानसून के महीने (जुलाई से सितंबर) में बारिश होती है, औसत तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। सर्दियों के महीने (अक्टूबर से मार्च) ठंडे होते हैं, औसत तापमान 0 से 5 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है।

केदारनाथ में और क्या करें? (What else to do in Kedarnath?)

केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने के अलावा, पर्यटक यहां कई अन्य गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
गौरीकुंड में स्नान करना: गौरीकुंड गंगा नदी के तट पर स्थित एक खूबसूरत स्थान है। यहां पर्यटक गंगा नदी में स्नान कर सकते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
रुद्रनाथ मंदिर की यात्रा करना: रुद्रनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक और महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर केदारनाथ से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।
चंद्रशिला की यात्रा करना: चंद्रशिला एक ऊंची चोटी है जो केदारनाथ से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। पर्यटक यहां से हिमालय की अद्भुत दृश्यावली का आनंद ले सकते हैं।
केदारनाथ में ट्रेकिंग करना: केदारनाथ क्षेत्र में कई ट्रेकिंग ट्रेल हैं। पर्यटक यहां ट्रेकिंग करके हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।

केदारनाथ यात्रा के लिए क्या तैयारी करे ?

केदारनाथ यात्रा के लिए, पर्यटकों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
ऊंचाई की बीमारी के लिए तैयार रहें: केदारनाथ समुद्र तल से लगभग 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पर्यटकों को ऊंचाई की बीमारी से बचने के लिए पर्याप्त पानी पीना चाहिए और आराम करना चाहिए।
उचित कपड़े और जूते पहनें: केदारनाथ में मौसम ठंडा हो सकता है। पर्यटकों को उचित कपड़े और जूते पहनने चाहिए।
पर्यटक बीमा खरीदें: केदारनाथ यात्रा के दौरान किसी दुर्घटना या बीमारी की स्थिति में पर्यटक बीमा आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकता है।

केदारनाथ यात्रा के लिए आवश्यक जानकारी

यात्रा के लिए आवश्यक दस्तावेज: केदारनाथ यात्रा के लिए, तीर्थयात्रियों को एक फोटो पहचान पत्र, एक यात्रा पास और एक स्वास्थ्य प्रमाण पत्र दिखाना होगा।
यात्रा के लिए आवश्यक सामान: केदारनाथ यात्रा के लिए, तीर्थयात्रियों को आरामदायक जूते, गर्म कपड़े, पर्याप्त भोजन और पानी, और प्राथमिक चिकित्सा किट ले जाना चाहिए।
यात्रा का मार्ग: केदारनाथ यात्रा के लिए कई मार्ग हैं। सबसे लोकप्रिय मार्ग हरिद्वार से गौरीकुंड तक बस या कार से यात्रा करना है, और फिर गौरीकुंड से केदारनाथ तक पैदल यात्रा करना है।

केदारनाथ में स्थापित ओम की प्रतिमा

केदारनाथ धाम में स्थापित की गई विशाल ओम की प्रतिमा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक घटना है। यह प्रतिमा हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मंत्रों में से एक, ओम को समर्पित है। प्रतिमा कांसे से बनी है और लगभग 60 क्विंटल वजनी है। यह केदारनाथ धाम से लगभग 250 मीटर पहले स्थित है।
इस प्रतिमा को स्थापित करने का उद्देश्य केदारनाथ धाम की भव्यता और आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाना है। प्रतिमा तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए एक लोकप्रिय आकर्षण बन गई है। यह हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए एक प्रतीक है।
प्रतिमा की स्थापना के बाद से, कई लोग इसे देखने के लिए केदारनाथ धाम गए हैं। प्रतिमा को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। प्रतिमा को देखने से लोगों को आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा मिलती है।
प्रतिमा की स्थापना के बाद से, केदारनाथ धाम की पर्यटन और धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है। प्रतिमा ने केदारनाथ धाम को दुनिया भर के लोगों के लिए एक और आकर्षक स्थान बना दिया है।
प्रतिमा की स्थापना के कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:
यह केदारनाथ धाम की भव्यता और आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाता है।
यह हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए एक प्रतीक है।
यह पर्यटन और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है।
यह लोगों को आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा प्रदान करता है।
कुल मिलाकर, केदारनाथ धाम में विशाल ओम की प्रतिमा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक घटना है। यह प्रतिमा हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए एक मूल्यवान संपत्ति है।

केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि (Date of opening of doors of Kedarnath temple)

केदारनाथ मंदिर के कपाट हर साल दो बार खुलते और बंद होते हैं। कपाट खुलने और बंद होने की तिथियां पंचांग के अनुसार निर्धारित की जाती हैं।
केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने की तिथि
 
 

केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद, मंदिर में भगवान शिव की पूजा शुरू होती है। मंदिर में हर दिन सुबह, दोपहर और शाम को पूजा होती है। पूजा में भगवान शिव को दूध, दही, घी, शहद, फल, फूल और धूप आदि अर्पित किए जाते हैं।

केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा के बाद, भक्तों को गंगा स्नान करने के लिए गौरीकुंड जाते हैं। गौरीकुंड केदारनाथ से लगभग 16 किलोमीटर दूर है। गौरीकुंड में भक्त गंगा नदी में स्नान करके भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव को “केदारनाथ महादेव” कहा जाता है। भगवान शिव को “केदारनाथ” इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे केदार पर्वत पर विराजमान हैं। केदार पर्वत हिमालय की एक ऊंची चोटी है जो रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।

केदारनाथ मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। हर साल लाखों भक्त केदारनाथ मंदिर की यात्रा करते हैं।

Kedarnath faq

Kedarnath Temple Doors to Open on May 2, 2025

Kedarnath Temple Doors to Open on May 2, 2025

Kedarnath during the summer months (April to June) offers an ideal visiting experience due to its pleasant weather, with temperatures typically ranging from 10 to 15 degrees Celsius. This period marks the commencement of the Char Dham Yatra, attracting a large number of pilgrims from all over the country to Kedarnath.

You can register for the trip both online and offline.

-For offline registration, there are many registration counters on the Chardham Yatra route, you can also register from there.

Those who want to register online can visit the official website of Kedarnath – https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/.

To get registered, first go to the Chardham Yatra website www.registrationandtouristcare.uk.gov.in. -Now click on Register/Login and fill the form.

-After registering for Chardham online, you will get an OTP on the system or mobile or email for verification. -Login using your mobile number and password.

Kedarnath Registration Methods

1. Online through this web portal https://registrationandtouristcare.uk.gov.in
2. Through Mobile Application – Tourist Care Uttarakhand (Download Android App and iOS App)
3. Through WhatsApp Facility – Mobile Number: +91 8394833833 Type in WhatsApp: “Yatra” to start the registration process.

Method of Verification:
Physical Darshan can be done at the temple only through scanning of “QR Code” in the mobile app or downloaded “Yatra Registration Form”.

For offline registration, there are many registration counters on the Chardham Yatra route, you can also get registered from there.

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