Uttrakhand Diary

Gaganyaan Mission गगनयान मिशन

Gaganyaan Mission गगनयान मिशन

Gaganyaan Mission गगनयान परियोजना में तीन सदस्यों के एक दल को 3 दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय समुद्र में उतरकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है

Gaganyaan Mission क्या और क्यों?

भारत आज अंतरिक्ष में एक के बाद एक सफलता हासिल कर रहा है, इसका ही महत्वपूर्ण मिशन का एक हिस्सा है यह गगनयान मिशन भारत तीन यात्रियों को 2024 के अंत में अंतरिक्ष में भेजना की तैयारी कर रहा है यह यात्री 400 किलोमीटर ऊंचाई पर वहां 3 दिन तक रहने के बाद उन्हें पृथ्वी पर सुरक्षित लाया जाएगा अंतरिक्ष मिशन की तैयारी के लिए यह परीक्षण इसरो द्वारा किया गया।
इस मिशन के दौरान होने वाली गड़बड़ी होने पर अंतरिक्ष यात्रियों का जीवन बचाने के लिए उन्हें दूर ले जाएगी इंसान को अंतरिक्ष भेजने की दिशा में यह भारत का पहला कदम कामयाब रहा।
भारत को अंतरिक्ष जीतने का पहला कदम सफल है।
इसरो ने महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए सभी उपकरणों के साथ परीक्षण उड़ान टीवी डी 1 शनिवार को सफलतापूर्वक पूरी कर ली इस मिशन साल 2024 के अंत में तीन यात्रियों को तीन दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
क्रू मॉडल में ही अंतरिक्ष यात्रियों को बैठाया जाएगा इसमें क्रू इंटरफेस जीवन नक्शा प्रणाली एपीएनएक्स और गति घटाने की प्रणाली शामिल रहेगी इनमें पृथ्वी के बातों में जैसा दबाव रहेगा हालांकि ताजा प्रशिक्षण में माड्यूल का दबावहीन प्रारूप शामिल किया गया।

गगनयान मिशन के लिए, ISRO ने एक नए प्रक्षेपण यान, गगनयान रॉकेट का विकास किया है। यह रॉकेट GSLV Mk III पर आधारित है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इनमें अतिरिक्त ईंधन और ऑक्सीजन टैंक शामिल हैं, जो इसे भारी कार्गो को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने की अनुमति देते हैं।

गगनयान मिशन के लिए, ISRO ने एक नए क्रू मॉड्यूल का भी विकास किया है। इस मॉड्यूल में तीन अंतरिक्ष यात्रियों के रहने और काम करने के लिए जगह है। इसमें एक आराम क्षेत्र, एक प्रयोगशाला और एक नियंत्रण कक्ष शामिल है।

गगनयान मिशन के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

गगनयान मिशन के लिए इसरो ने कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का विकास किया है। इनमें शामिल हैं:

Gaganyaan Mission ISRO Photo

गगनयान मिशन के तीन चरण होंगे:

गगनयान मिशन के महत्व के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:


गगनयान मिशन: इसरो ने किया सफल परीक्षण


गगनयान मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। यह भारत को दुनिया के उन देशों की सूची में शामिल करेगा, जिन्होंने मानव अंतरिक्ष उड़ान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। शुरुआती कुछ गड़बड़ियों के चलते श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से करीब 2 घंटे देरी से हुआ प्रशिक्षण, इस प्रशिक्षण में क्रू एस्केप प्रणाली (सीईएस) पारखी गई यह मिशन के दौरान होने वाली गड़बड़ी ना हो ने पर अंतरिक्ष यात्रियों का जीवन बचाने उन्हें रॉकेट से दूर ले जाएगी (सीईएस)संयोजित तरीके के रोग से अलग हुआ और मॉड्यूल पैराशूट के सारे बंगाल की खाड़ी में उतारा गया बाद में बाहर निकाल कर नौसेना द्वारा चेन्नई पोर्ट पहुंचाया गया किसका प्रसारण प्रसारण पूरी दुनिया ने देखा प्रशिक्षण पूरा होते ही इसरो के नियंत्रण कक्ष में मौजूद वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई।

क्रू मॉड्यूल 12.7 किलोमीटर ऊंचाई पर रॉकेट से अलग हुआ 16.9 किलोमीटर ऊपर जाने के बाद नीचे उतरना शुरू हुआ। तीनों पायलट पैराशूट को समुद्र से ढाई किलोमीटर पहले खोला गया।10:10:33 बजे बंगाल के खाड़ी मैं सुरक्षित उतारा गया।

तीन बार टला मिशन:


शनिवार सुबह मौसम के कारण देरी हुई इसके बाद 8 बजे से टाल कर 8:30 बजे किया गया। फिर 15 मिनट और टल गया, प्रक्षेपण से महज 5 सेकंड पहले ऑटोमेटिक लॉन्च सीक्वेंस कंप्यूटर प्रोग्राम में संदेश भेजो होल्ड करो इस मिशन को फिर रोक दिया गया।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथं ने बताया (एसएलएस) नए सामान्य मानको के अनुसार इंजन में प्रदर्शन नजर ना आने के कारण ऐसा किया गया इस गड़बड़ी को पहचान कर तत्काल ठीक किया गया।
रॉकेट को फिर से गैस भरकर तैयार किया गया , टीम एसएलएस ने खुद जाँचा, रॉकेट व मिशन के सेहत ठीक मिली । वो वैज्ञानिको का कभी न मानने का जज्बा ही था, की कुछ समय बाद 10 बजे प्रक्षेपण की घोषणा की गई।
नए समय पर रॉकेट आसमान की ओर बढ़ गया फिर और प्रक्रियाएं शुरू हो गई इसके बाद सीईएस को अलग किया गया, अलग होने के बाद कुछ देर बाद पैराशूट खोला गया, सभी प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण किए गिये। इसके बाद 10:10:33 बजे इसको बंगाल की खाड़ी में निर्धारित और सुरक्षित वेग से उतारा गया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने दी समस्त इसरो को इसकी शुभकामनाएँ।

Photo- X.com

गगनयान मिशन की घोषणा कब किया गया?

गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को लाल किले से की थी। इस मिशन पर करीब दस हजार करोड़ रुपये की लागत आ रही है। इसके सफल होते ही भारत अंतरिक्ष में इंसान को भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अंतरिक्ष में इंसान को भेज चुके हैं। इसरो, डीआरडीओ और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इसमें जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मिशन में जीएसएलवीएमके 3 की जगह एचएलवीएम 3 का प्रयोग होगा। इसके ऊपरी हिस्से में क्रू स्केप सिस्टम है।

गगनयान मिशन क्या है?

गगनयान परियोजना में तीन सदस्यों के एक दल को 3 दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय जल में उतरकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है

गगनयान मिशन के लिए इस्तेमाल होने वाला रॉकेट कौन सा है?

गगनयान मिशन के लिए, ISRO ने एक नए प्रक्षेपण यान, गगनयान रॉकेट का विकास किया है। यह रॉकेट GSLV Mk III पर आधारित है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इनमें अतिरिक्त ईंधन और ऑक्सीजन टैंक शामिल हैं, जो इसे भारी कार्गो को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने की अनुमति देते हैं

गगनयान नए क्रू मॉड्यूल में क्या क्या होगा?

गगनयान मिशन के लिए, ISRO ने एक नए क्रू मॉड्यूल का भी विकास किया है। इस मॉड्यूल में तीन अंतरिक्ष यात्रियों के रहने और काम करने के लिए जगह है। इसमें एक आराम क्षेत्र, एक प्रयोगशाला और एक नियंत्रण कक्ष शामिल है।

गगनयान कब लॉन्च किया गया है?

इसरो ने रविवार सुबह 21 अक्टूबर को सुबह10 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गगनयान के क्रू मॉड्यूल को सफलतापूर्वक लॉन्च किया.

गगनयान मिशन शब्द का अर्थ?

मिशन का नाम “गगनयान” संस्कृत शब्द “गगन” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “आकाश”।
मिशन के प्रतीक चिह्न में एक उड़ता हुआ पक्षी है, जो भारत के उद्यम और आशा का प्रतीक है।

गगनयान मिशन की घोषणा कब किया गया?

गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को लाल किले से की थी। इस मिशन पर करीब दस हजार करोड़ रुपये की लागत आ रही है। इसके सफल होते ही भारत अंतरिक्ष में इंसान को भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अंतरिक्ष में इंसान को भेज चुके हैं। इसरो, डीआरडीओ और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इसमें जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मिशन में जीएसएलवीएमके 3 की जगह एचएलवीएम 3 का प्रयोग होगा। इसके ऊपरी हिस्से में क्रू स्केप सिस्टम है।

गगनयान मिशन की लागत

शन पर करीब दस हजार करोड़ रुपये की लागत आ रही है। (अनुमानित )

गगनयान मिशन में शामिल संस्थान।

इसरो, डीआरडीओ और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड इसमें जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मिशन में जीएसएलवीएमके 3 की जगह एचएलवीएम 3 का प्रयोग होगा। इसके ऊपरी हिस्से में क्रू स्केप सिस्टम है।

गगनयान मिशन भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

यह मिशन भारत का पहला ह्यूमन स्‍पेस मिशन है. इसमें 3 सदस्यों के दल को 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा. इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा. यह भारत के लिए बेहद खास इसलिए है क्योंकि अगर यह सफल होता है तो अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। गगनयान मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। यह भारत को एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।

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