कैसे पहुंचें कैंची धाम? नीम करोली बाबा के आश्रम जाने का सही समय,
Kainchi Dham कैंची धाम एक हनुमान मंदिर और आश्रम है
जिसे 1960 के दशक में एक महान संत श्री नीम करोली बाबा द्वारा स्थापित किया गया था यह स्थान एक पवित्र स्थान है जो चारों ओर पहाड़ियों तथा ऊंचे ऊंचे पेड़ों और नदी के किनारे बसा एक स्थान है जो की काफी मनमोहक और सुकून देने वाला वातावरण है, यहां लोग आंतरिक शांति की तलाश में आते हैं। कैंची धाम एक आध्यात्मिक केंद्र है, जो कि उत्तराखंड की सुरम्य पहाड़ियों पर स्थित है।
धार्मिक तीर्थस्थलों में से एक कैंची धाम आश्रम श्रद्धालुओं के बीच काफी लोकप्रिय है। यहां आज भी आश्रम में हनुमान जी की महान शक्तियों और उनकी उपस्थिति को महसूस कर सकते हैं इस स्थान को प्रसिद्ध नीम करोली बाबा के आश्रम के कारण काफी पहचान मिली है।
स्थान (Location):
कैंची धाम आश्रम, भवानी रेंज, नैनीताल, उत्तराखंड, 263112, भारत।
Kainchi Dham – Neem Karoli Baba Ashram
https://maps.app.goo.gl/8Mk6z2XDTT1zUpTK8
कैंची आश्रम का इतिहास (History of Kainchi Dham Ashram):
कैची आश्रम उत्तराखंड में कुमाऊं की पहाड़ियों के बीच में स्थित एक सुंदर एकांत और मनमोहक आश्रम है जो की नैनीताल जिले में कैंची नमक स्थान पर स्थित नदी के किनारे है इसलिए इसे कैंची आश्रम भी कहा जाता है, जो की नीम करोली महाराज द्वारा स्थापित किया गया।
बाबाजी ने 10 सितंबर 1973 की रात को अपना भौतिक शरीर त्याग दिया। उनकी अस्थियों वाला कलश पहले से ही श्री कैंची धाम में स्थापित किया गया था। फिर बिना किसी योजना और डिज़ाइन के 1974 में बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। इसमें उनके सभी भक्तों ने (स्वेच्छा से) सहयोग किया।
निर्माण कार्य में लगे कारीगरों और राजमिस्त्रियों ने जल्दी स्नान किया और साफ कपड़े पहनकर, हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए और “महाराजजी की जय” का उद्घोष करते हुए काम शुरू किया। जब निर्माण कार्य चल रहा था, तो भक्तों ने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया और (श्री राम – जय राम – जय जय राम) गाकर कीर्तन भी किया, माताओं ने भी ईंटों पर “रामनाम” लिखा और उन्हें श्रमिकों तक पहुंचाया। पूरा वातावरण “बाबा नीम करोली महाराज की जय” के नारे से गूंज उठा। बाबाजी के प्रति माताओं की अपार श्रद्धा से प्रभावित होकर कार्यकर्ताओं में भी भक्ति, आस्था, श्रद्धा और प्रेम की वैसी ही भावना विकसित हुई। यह बाबाजी का ही कार्य था कि उन्होंने इन श्रमिकों में विश्वकर्मा (देवताओं के वास्तुकार) के गुण पैदा किये और वे निर्माण कार्य में व्यस्त रहे।
15 जून 1976, महाराज जी की प्रतिमा की स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा का दिन। महाराज जी ने स्वयं कैंचीधाम की प्रतिष्ठा के लिए 15 जून का दिन निश्चित किया था।
स्थापना एवं प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व भागवत सप्त एवं यज्ञ आदि किये गये। श्रद्धालुओं ने कलश स्थापित कर मंदिर पर घंटे, घड़ियाल, ढोल, शंख की ध्वनि के साथ ध्वज फहराया। तालियों की आवाज से आकाश गूँज उठा। कीर्तन और बाबाजी की जय के नारे. वातावरण आनंदमय था और सभी को बाबाजी महाराज की भौतिक उपस्थिति का एहसास हुआ। फिर वेदों की ऋचाओं के उच्चारण और विधि-विधान से अभिषेक-पूजन के साथ महाराजजी की मूर्ति स्थापित की गई। इस प्रकार बाबाजी महाराज श्री कैंची धाम में मूर्ति रूप में विद्यमान हैं।
पहले मंदिर का उद्घाटन 15 जून 1964 में हुआ था यह नैनीताल से लगभग 38 किलोमीटर दूर है हर मौसम में यहां मंदिरों में हर दिन सैकड़ो लोग पहुंचते हैं और दर्शन के भागीदार बनते हैं
कैसे पहुंचे नीम करोली आश्रम कैंची धाम ? (How to reach Neem Karoli Ashram Kainchi Dham?) :
यदि आप कैसी हो आश्रम जाना चाहते हैं तो यहां पहुंचने के लिए काफी साधन उपलब्ध हैं जैसे आप ट्रेन या फिर हवाई सफर से भी यहां आ सकते हैं लेकिन यहां से निकटतम दूरी तक इन साधनों से आप कर सकते हैं
1. सड़क मार्ग (Road route) :
कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल शहर के पास स्थित है। नैनीताल से 17 किमी दूर कैंची धाम नाम की जगह है, जहां आप सड़क मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। दिल्ली से नैनीताल की दूरी लगभग 324 किलोमीटर है। सफर तय करने में करीब साढ़े 6 घंटे का वक्त लगेगा। आगे का सफर भी सड़क मार्ग से कर सकते हैं।
2. निकटतम रेलवे स्टेशन (Nearest railway station) :
यदि आप दिल्ली या कहीं आसपास से आना चाहते हैं तो आपके यहां पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम आना है दिल्ली से आप काठगोदाम तक का सफर आप रेलगाड़ी से करने के बाद आपको यहां काठगोदाम से या तो टैक्सी या फिर आप बस से भी कैंची धाम का सफर आसानी से कर सकते हैं क्योंकि यह स्थान अल्मोड़ा और रानीखेत जाने वाली गाड़ी के रास्ते में ही पड़ता है
3. निकटतम हवाई अड्डा (Nearest Airport) :
यहां का निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर है जह से महज 66 किलोमीटर दूरी पर स्थित है कैंची धाम आश्रम। यहां से आपको हल्द्वानी पहुंचना पड़ेगा, वहां से आपको उचित साधन उपलब्ध हो जाएगा।
कुछ जगह से दूरी (distance from some place):
नैनीताल से कैंची धाम की दूरी 20 किमी। ( Distance of Kainchi Dham from Nainital is 20 km.)
दिल्ली से कैंची धाम की दूरी 338 किमी। ( Distance of Kainchi Dham from Delhi is 338 km.)
हल्द्वानी से कैंची धाम की दूरी 49 किमी.। ( Distance of Kainchi Dham from Haldwani is 49 km.)
हरिद्वार से कैंची धाम की दूरी 255 किमी.। ( Distance from Haridwar to Kainchi Dham is 255 km.)
काठगोदाम से कैंची धाम की दूरी 37 किमी.। ( Distance of Kainchi Dham from Kathgodam is 37 km.)
ऋषिकेश से कैंची धाम की दूरी 268 किमी.। ( Distance from Rishikesh to Kainchi Dham is 268 km.)
*सभी डेटा गूगल मैप से लिया गया है* All data is taken from Google Map
निकटतम आवास आवास सुविधाएं :
यदि आप कैंची आश्रम आना चाहते हैं तो आपको इसके आसपास रहने के लिए काफी सारे गेस्ट हाउस और होटल मिल जाएंगे, जिनका किराया है बहुत कम है यदि आप यहां से कुछ दूरी जैसे भवाली जो की 8 किलोमीटर है के आसपास होटल और गेस्ट हाउस काफी तादात में हैं तो आपको काफी किफायती दामों पर उपलब्ध हो जाएंगे।
आश्रम जाने का सही समय (Best time to visit Ashram) :
अगर आप नीम करोली बाबा के आश्रम जाने के लिए सही समय की तलाश में हैं तो मार्च से जून तक का उपयुक्त उपयुक्त रहेगा। इसके अलावा सितंबर से नवंबर के बीच भी कैंची धाम घूमने जा सकते हैं। इन महीनों में मौसम सुहाना होता है। भारी वर्षा के कारण मानसून (जुलाई से अगस्त) के दौरान यात्रा करने से बचें.
प्राकृतिक परिवेश :
यह सुंदर पहाड़ियों की तलहटी में स्थित एक शांत तथा अत्यधिक खूबसूरत स्थान है, और यहां साल भर मौसम सुहाना रहता है।
कैंची धाम में क्या करें ?:
कैंची धाम में नीम करोली बाबा के आश्रम में घूमने के अलावा निवासी द्वारा आयोजित सत्संग में भाग ले सकते हैं। आश्रम में पुस्तकालय है, जहां आगंतुक आध्यात्मिकता और दर्शन पर किताबें पढ़ सकते हैं।
आगंतुकों के लिए सलाह :
कैंची आश्रम आने पर आगंतुकों को सलाह दी जाती है कि वे शालिन कपड़े पहने तथा स्थानीय रीति रिवाज की परम्पराओं का सम्मान करें। स्थान की पवित्रता का सम्मान करें।
मंदिर परिसर में शांति बनाए रखें.
आश्रम प्राधिकारियों द्वारा दिए गए नियमों और निर्देशों का पालन करें।
तस्वीरें या वीडियो लेने से पहले अनुमति लें।
दैनिक अपडेट के लिए- https://nkbashram.org पर देखे।
कैंची धाम के आसपास कुछ खूबसूरत जगहों पर घूमने ना भूले!(Don’t forget to visit some beautiful places around Kainchi Dham)
कैंची धाम की यात्रा करते समय, आप नैनीताल, भीमताल, सातताल और मुक्तेश्वर जैसे अन्य आस-पास के आकर्षणों का भी पता लगा सकते हैं।
1- भीमताल – चमचमाती झीलों का शहर
भीमताल एक झील शहर है जिसका नाम महाभारत के करिश्माई पौराणिक चरित्र भीम के नाम पर रखा गया है। अपनी सौन्दर्यात्मक सुंदरता के लिए प्रतिष्ठित, भीमताल गर्व से समुद्र तल से 1,370 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
2- नैनीताल
कुमाऊं हिमालय में समुद्र तल से लगभग 2,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सात पहाड़ियों से घिरा यह खूबसूरत शहर, जिसे ‘सप्त-श्रृंग’ के नाम से जाना जाता है – अयारपाटा, देवपाटा, हांडी-बांडी, नैना, अल्मा, लारिया-कांता और शेर-का-डांडा। राजसी पहाड़ और झील का चमचमाता पानी शहर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
3- हिमालय की गोद में बसा, रामगढ़
यह समुद्र तल से 1789 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और आप सभी प्रकृति प्रेमियों के लिए एक रमणीय स्थान है। बर्फ से ढकी पर्वत चोटियों के अद्भुत दृश्यों से भरपूर, रामगढ़ को सेब, प्लम, आड़ू और खुबानी के हरे-भरे बगीचों के कारण “कुमाऊं का फलों का कटोरा” भी कहा जाता है।
4- रानीखेत हिल स्टेशन
रानीखेत उत्तरी भारत के उत्तराखंड राज्य में एक हिल स्टेशन है। यह हिमालय के दृश्यों के लिए जाना जाता है। हिंदू देवी दुर्गा को समर्पित झूला देवी मंदिर में सैकड़ों घंटियाँ सुशोभित हैं। चौबटिया गार्डन के सीढ़ीदार बगीचों में फलों के पेड़ उगते हैं।
5- कुमाऊँ क्षेत्र की सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा
अल्मोड़ा अपनी आकर्षक सुंदरता, हिमालय के मनोरम दृश्य, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, अद्वितीय हस्तशिल्प और स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है । अल्मोडा का सुरम्य परिदृश्य हर साल सैकड़ों पर्यटकों को आकर्षित करता है क्योंकि यह कुमाऊं क्षेत्र के व्यापारिक केंद्रों में से एक है।
6- भारत का स्विट्जरलैंड कसौनी
कसौनी एक सुरम्य हिल स्टेशन है जो भारत के उत्तराखंड राज्य में बागेश्वर जिले में स्थित अपने 300 किमी चौड़े प्राकृतिक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है, जो अपने प्राकृतिक वैभव और बर्फ से ढके हिमालय की खिड़की से 300 किमी चौड़े मनोरम दृश्य के लिए प्रसिद्ध है। त्रिशूल, नंदा देवी, नंदाकोट और पंचचूली चोटियाँ।
7- घोड़ाखाल (Bell Temple )
कुमाऊं की धरती पर न्याय के देवता गोल्ज्यू में जन जन की आस्था है। गाेल्ज्यू के मंदिरों में अर्जी लगाई जाती है और मनाेकामना पूरी होने पर श्रद्धालु जिस मंदिर जो विधान होता है उसे पूरा करते हैं।
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